IPO क्या है? IPO Full Form In Hindi | Upcoming IPO की जानकारी 2021

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IPO क्या है? आपने शेयर मार्केट तो सुना है । शेयर मार्केट कभी चढ़ता है , कभी उतरता है।  यह भी हमने सुना और देखा है। ऐसे ही शेयर मार्केट में आईपीओ शेयर मार्केट क्या है यह आज समझने वाले हैं। आज की इस पोस्ट में आप What is IPO, IPO Kya Hai, IPO Full Form In Hindi, IPO Kaise Kaam Karte Hai, tatva chintan allotment status, IPO Ke Fayde, ipo ke nuksan, How to check IPO application status आदि की बात करेंगे. तो चलिए शुरू करते है कि आईपीओ क्या होता है?

आईपीओ क्या हैं ? (What is IPO)

Contents

IPO Kya Hai – ऐसा शेयर मार्केट है , जिसमें छोटी छोटी कंपनियां अपना व्यापार बढ़ाने के लिए सामान्य स्टॉप या शेयर को पहली बार जनता के सामने लाती है । ताकि उनके स्टॉक या शेयर को आम जनता खरीद सके और कंपनी को अपना व्यापार बढ़ाने के लिए पैसे मिल जाए। जो आईपीओ के शेयर खरीदते हैं , उन्हें कंपनी में शेयर के अनुसार कुछ हिस्सेदारी मिलती है। अगर आपको भारत के upcoming ipo के बारे में जानकारी चाहिए तो आप chittorgarh.com पर visit कर सकते है । जिसमे आपको current ipo की list मिल जाएगी.

IPO Full Form In Hindi (आईपीओ का फुल फॉर्म हिंदी में)

IPO Full Form “initial public offering” होता है. तथा IPO Full Form In Hindi इनिशियल पब्लिक ऑफर (सार्वजनिक प्रस्ताव) होता है। हिंदी में ipo का मतलब को इनिशियल यानी प्रारंभिक या शुरुआत कहते हैं । पब्लिक यानी सामान्य जनता या आम जनता । और आफरिंग यानी कुछ देना या कुछ प्रस्ताव सामने रखना। अर्थात अगर हम शब्द: का अर्थ निकालने की कोशिश करेंगे तो यह होगा कि प्रारंभिक शुरुआत में कोई कंपनी आम जनता को कुछ ऑफर याने कुछ प्रस्ताव देने की कोशिश करती है , जिसमें फायदा कंपनी का भी होता है और आम जनता का भी होता है। ipo full form in share market की बात करे तो इसमे भी इसका मतलब “initial public offering” ही होता है.

कई बार लोग ये भी पूछते है कि ipo full form in finance तो आपको बता दें IPO Ki Full Form सब मे एक ही होती है. चाहे ipo ka full form in computer भी हो.

PostIPO Full Form In Hindi
Official Websitewww.bseindia.com/
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IPO Ke Nuksan (आईपीओ के नुकसान)

  • किसी company को ipo लॉन्च करने में कम से कम 6 से 9 महीने या इससे भी अधिक समय लगता है । जो शेयर मार्केट के अनुसार समय की बर्बादी है ।
  • आईपीओ को share marketing में लाने के लिए fileing के कई खर्च आते हैं । जैसे प्रिंटिंग करना,  उसका लेखांकन करना,  उसका कानूनी शुल्क का भरना आदि ।
  • सेबी के निर्देशानुसार आईपीओ को दर्ज करने के लिए सलाहकारों को किराए पर लेना पड़ता है । उन्हें पैसे देने पड़ते हैं , जो कंपनी को महंगा साबित होता है ।
  • आईपीओ में बड़ी संख्या में शेयर धारक आ जाते हैं। जिससे कंपनी के फैसले लेने में कठिनाइयां हो जाती है ।कोई भी निर्णय अकेला व्यक्ति नहीं ले सकता ।कंपनी को सभी शेयरधारकों को सूचित करना पड़ता है । उनका निर्णय या उनकी मंजूरी लेनी पड़ती है।
  • जिनके पास शेयर की ज्यादा हिस्सेदारी होती है , उन्हें निर्णयात्मक विचार में कंपनी में  शामिल करना जरूरी होता है। आईपीओ के कई शेयर धारक होने से कंपनी की पॉवर कई सारे शेयर धारक में बंट जाती है । जिससे कंपनी या तो घाटे में जाएगी ,या उच्च नाम कमाएंगी ।
  • आईपीओ में एक और जोखिम  यह भी होती है कि , अपने हिस्से के शेयर बेच दे , तो शेयर की कीमतें गिर जाएगी ।कंपनी के शेयर मूल्य कम होने से कंपनी जोखिम में आ जाएगी यानी बर्बाद भी हो सकती है। ipo full form के बारे में आप अच्छी तरह से समझ चुके होंगे.

IPO Ke Fayde (आईपीओ के फायदे)

  1. शेयर मार्केट में जब कोई  कंपनी आईपीओ में दर्ज होती है , तो कोई भी निवेशक शेयर खरीद और बेच सकता है।
  2. आईपीओ लॉन्च होने से हम एक साथ कई लोगों तक पहुंच जाते हैं।
  3. कंपनी अपना विस्तार करने के लिए कंपनी शेयर को शेयर मार्केट में आईपीओ द्वारा लाती है ।
  4. कंपनी के शेयर  बड़ी संख्या पर लेने पर शेयर धारक को तथा कंपनी को फायदा  हो जाता है, और कंपनी के पास एक साथ अधिक पूंजी जमा हो जाती है ।
  5. आईपीओ में तरलता होती है। कंपनी का लेखा-जोखा कंपनी का फायदा नुकसान सभी सार्वजनिक होने से कंपनी में तरलता आती है।
  6. सार्वजनिक रूप से आई हुई कंपनी को सेबी के नियमों के अनुसार लाभांश व्यापार के संबंधित , कंपनी की संबंधी , सभी जानकारी जनता के सामने रखनी पड़ती है।  जिससे हमें शेयर खरीदने , तथा कंपनी का मूल्यांकन करना आसान होता है ।
  7.   आईपीओ में कंपनी लांच होने से कंपनी को कोई कर्ज लेना नहीं पड़ता, कंपनी में कर्ज में नहीं डूबती ।  जिसका फायदा भी शेयर धारक जनता को हो जाता है ।
  8. आईपीओ में कंपनी के शेयर खरीदने से लोग करोड़पति भी बन गए हैं ।
  9. कंपनी आईपीओ में लॉन्च होने पर स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध होने से मीडिया का कवरेज भी प्राप्त होता है ।      आईपीओ में दाखिल होने पर कंपनी कभी-कभी अपने कर्मचारी लोगों को कंपनी के विकास के लिए शेयर  प्रदान करती है । जिससे कंपनी तथा कर्मचारियों की दक्षता के कारण दोनों को लाभ प्राप्त होता है ।
  10. सेबी द्वारा कंपनी पर नजर रहती है कंपनी आपको किसी प्रकार धोखा नहीं दे सकती।

IPO Se Paise Kaise Kamaye? (आईपीओ से पैसे कैसे कमाएं)

कंपनी का आईपीओ खरीदने से पहले आपको डिमैट अकाउंट खोलना जरूरी है। फिर हमें आईपीओ कंपनी का स्टडी करना है । जो टॉप कंपनी है , उसके आईपीओ हमें खरीदना है । फिर हमें ग्रे मार्केट को देखना है । अगर ग्रे मार्केट में डिमांड कंपनी की ज्यादा दिखाई देती है , तो हम उस कंपनी के शेयर खरीद सकते हैं । आईपीओ की स्टडी करने पर कंपनी का लेखा-जोखा देखने पर हम उस कंपनी में इन्वेस्ट कर सकते हैं । ग्रे मार्केट प्रीमियम ज्यादा चल रहा है । तो डिमांड ज्यादा है।  तो हम शेयर खरीद कर ज्यादा पैसे कमा सकते हैं । कभी भी हमें अंतिम समय तक नहीं रुकना है ।
   

आईपीओ में कंपनी जब अपने शेयर लॉन्च करती हैं । तो हमें तुरंत ही कंपनी को देखकर शेयर खरीदने हैं । कंपनी हमें 3 दिन का समय देती है । इन 3 दिन की अवधि में ही हमें शेयर खरीदना चाहिए । कंपनी का लेखा-जोखा भी हमें देखना चाहिए । अगर हम  अंतिम दिन शेयर खरीदने की कोशिश करते रहेंगे तो शायद हमें उस कंपनी की भागीदारी या शेयर मिलने में कठिनाई हो सकती है। 

हमारा एक डिमैट अकाउंट होना चाहिए । अगर हम अलग अलग डिमैट अकाउंट से एक ही कंपनी के कई शेयर  खरीदना चाहेंगे तो हमारा पैन नंबर एक ही होता है जिससे हमें उस कंपनी के शेयर खरीदने में कठिनाइयां हो सकती है । हमें  एक ही कंपनी के कई शेर खरीदना है , तो हम अपने फैमिली के रिश्तेदारों से उनके अकाउंट से शेयर हिस्सेदारी ले सकते हैं। आईपीओ में तीन प्रकार के लोग पैसे कमाते  है। क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशंस बायर में इन्वेस्टर म्यूचुअल फंड  आईपीओ खरीदते हैं जिसमें  लंबी अवधि के लिए अपने पैसे रखते हैं और अधिक मुनाफा कमाने की कोशिश करते हैं।

दूसरा होता HNI यह हायर इनकम सोर्स में आते हैं । जिनके पास ज्यादा पैसे होते हैं वह दो लाख से ऊपर शेयर खरीद कर आईपीओ में हिस्सेदारी लेते हैं। तीसरा जो होता है रिटेल इन्वेस्टर जो दो लाख से कम पैसे लगाते हैं । उन्हें रिटेल इन्वेस्टर्स कहते हैं। ज्यादा शेयर सब्सक्राइब हो गया , तो शेर का डिमांड ज्यादा होता है ।डिमांड ज्यादा होती है तो 2 गुना 3 गुना गुना हमें मुनाफा मिल जाता है आईपीओ में पैसा कमाने से पहले हमें कंपनी को देखना जरूरी है।

आईपीओ में निवेश कैसे करें?

आईपीओ में कोई भी निवेश कर सकता है । निवेश करने से पहले आपको अपना डिमैट अकाउंट खोलना जरूरी है। और आपको शेयर मार्केट की थोड़ी बहुत जानकारी होना भी जरूरी है । आपके पास आपका पैन कार्ड ,बैंक अकाउंट ,  डिमैट अकाउंट होना जरूरी है । आप अगर कंपनी के शेयर खरीदते हैं , तो वह शेयर सर्टिफिकेट के रूप में या  डीमैट अकाउंट में भी ट्रांसफर कर सकते हैं ।
  
आईपीओ में पैसे लगाने से पहले कंपनी और जनता के बीच का ग्राफ को देखना भी जरूरी है । कंपनी की मार्केट वैल्यू देखनी जरूरी है । कंपनी पर रिसर्च  कर पैसा लगाना चाहिए ।  हमें अच्छा ब्रोकर का चयन करना चाहिए ।रेटिंग एजेंसी जो होती है , उसमें कंपनी की रेटिंग क्या है,  यह सब देखकर हमें आईपीओ में निवेश करना चाहिए।

Types of IPO (आईपीओ के प्रकार)

आईपीओ के प्रकार – सार्वजनिक प्रस्ताव के जरिए जब कोई कंपनी आईपीओ में आती है तो वह अपने शहर जनता को देख कर हिस्सेदार बनाती है जिससे मुनाफा मिलकर कंपनी और जनता दोनों फायदेमंद हो जाते हैं यह करने के लिए आईपीओ के दो प्रकार है एक निश्चित मूल्य विकास तो दूसरा बुक बिल्डिंग निकास ।

निश्चित मूल्य विकास

कोई भी कंपनी आईपीओ में दो प्रकार से निवेश करती हैं । वह निश्चित मूल्य में कंपनी अपने शेयर  का उचित मूल्य तय करती है ।अगर डिमांड ज्यादा है तो कंपनी मूल्य निश्चित कर एक शेयर  के प्रति निश्चित कीमत तय कर लेती है। जिसे वह से ग्राहक को एक शेयर खरीदने पर रोक लगाती हैं। ज्यादा शेयर खरीदने को कहती है ।

Example:- अगर किसी एक कंपनी का निश्चित मूल्य ₹100 है तो वह शेयर  ₹100 का ना बेचकर वह कंपनी निवेशक को कहेगी कि वह एक शेयर  ना खरीदकर कर 10 शेयर खरीद ले । तो आपको ₹100 के 10 शेयर खरीदने पड़ते हैं । यानी कंपनी को आपको 10000 का मूल्य देना पड़ता है इसे निश्चित मूल्य विकास कहते हैं।

बुक बिल्डिंग निकास

बुक बिल्डिंग विकास में आईपीओ की प्रक्रिया के दौरान दो कीमत जारी की जाती है ।जो निश्चित नहीं होती। फ्लोर मूल्य और कैंप मूल्य ऐसे दो मूल्य  निवेश धारकों के सामने रखते हैं । और फ्लोर मूल्य में कम और कैंप मूल्य में ज्यादा कीमत रखते हैं। शेयर होल्डर को कंपनी बोली लगाने के लिए कहती हैं ।अगर शेयर होल्डर फ्लोर मूल्य पर बोली लगाते हैं,  तो उन्हें शेयर मिलने के चांस कम हो जाते हैं।  कंपनी कैंप मूल्य या दोनों के बीच की कीमत तय कर सकती है ।
   

Example:- फ्लोर मूल्य ₹50 है ओर कैप मूल्य ₹75 है,  तो कंपनी ₹75 या 65 रुपए की कीमत तय कर बाजार में अपने शेयर बेच सकती हैं। इसलिए हमें अगर कंपनी के शेयर चाहिए, तो कैंप मूल्य का या कट ऑफ पर शेयर की बोली लगानी है । तो आपको उस कंपनी के शेयर मिल सकते हैं ।अन्यथा आप एक साथ निश्चित मूल्य का बांड खरीद कर कंपनी से लाभांश प्राप्त कर सकते हैं।

IPO Kaise Kaam Karta Hai? (आईपीओ कैसे काम करता हैं)

आईपीओ के जरिए किसी कंपनी का शेयर आम जनता के सामने पहली बार आता है । उसे स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध किया जाता है ।  कंपनी को आईपीओ में परिवर्तित करने के लिए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है । उन्हें लेखा परीक्षक ,वकील ,अंडरराइटर्स ,अकाउंटेंट , बाहरी विशेषज्ञ,  सलाहकार आदि की आवश्यकता पड़ती है । उन्हें इन सब को अपनी कंपनी में शामिल करना पड़ता है। तो देखते हैं आईपीओ कैसे काम करता है ।

प्रतिभूति विनियम आयोग यानी SEC के माध्यम से हम जानते हैं आईपीओ कैसे काम करता है । कंपनी स्थापित करने के लिए सावधानी से पंजीकरण कर एक मसौदा तैयार करना पड़ता है   जिसमें स्पष्टता और पूर्णता होनी जरूरी है।  यह काम SES फाइलिंग समीक्षा  करता है । जो फॉर्म S1 में दाखिल करने से शुरू होता है। SEC कंपनी के सारे कागज की फाइलों की समीक्षा करता है ।

अगर कोई नियम का पालन कंपनी से हुआ नहीं तो से  उन्हें पूरा करने को कहता है। कंपनी ने दिया हुआ टिप्पणी पत्र का पालन किया है या नहीं, इसकी  फिर से जांच-पड़ताल भी करती है और फिर वह कंपनी को मंजूरी देती है ।

रोड शो शुरू होता है । कंपनी आईपीओ में आने से पहले अपनी कंपनी का फैलाव करने के लिए शहर शहर यात्रा कर पहले जानकारी हासिल करती है। कंपनी वहां पर स्थापित होती है कि नहीं यह देखने के पश्चात वह आईपीओ में अपील करती है।  फिर आईपीओ में मूल्य निर्धारित किया जाता है । रोड शो के अंत में आईपीओ का मूल्य निर्धारण प्रक्रिया शुरू हो जाती है । जिसमें बोली प्रक्रिया या तो निवेश , बैंक ग्रुप कंपनियों के माध्यम से होती है ।(यानी ब्रोकर )जिसमें  विशेषतज्ञो का सहभाग  होता है ।

सही शेयर की कीमत कार्य पूर्ण करने की तुलना में थोड़ा अधिक रखते हैं । जो स्थिर होता है या मार्केट मूल्य के परिणाम स्वरूप वृद्धि करता हैं । आईपीओ की कीमत तय करने के दो तरीके होते हैं । निश्चित मूल्य विधि और बुक बिल्डिंग विधि जिसमें स्थिर मूल्य होता है ।वह निश्चित मूल्य विधि और जिस में अस्थिर यानी फ्लोर मूल्य या का कैप मूल्य के रूप में होता है ।उसे बुक बिल्डिंग विधि कहते हैं। जिसे ऊपर के लेख में पहले ही बताया गया है।

शेयर मार्केट में IPO क्या है?

जब कोई कंपनी अपनी आर्थिक जरूरत हो या कंपनी को बढ़ाने के लिए पैसा जमा करने के लिए आकर्षित शेयर जारी करती है उसे आईपीओ कहते हैं पहले कंपनी आईपीओ के द्वारे निवेश से निवेशकों से पैसा जमा कर शेयर मार्केट में लिस्टेड करती है । शेयर मार्केट में फिर निवेशक कंपनी की पूरी जानकारी हासिल कर शेयर मार्केट से शेयर का निवेश करता हैं।

भारत में आईपीओ लांच करने के लिए

भारत में आईपीओ लॉन्च करने के लिए दो ही तरीके है 1.NES यानी नेशनल स्टॉक एक्सचेंज और 2.BSE यानी बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज ऐसे प्रमुख शेयर मार्केट से कोई भी कंपनी अपना आईपीओ लॉन्च कर सकती है जो सेबी द्वारा नियंत्रित रहता है ।सेबी का उस पर ध्यान या नियंत्रण होता है।

आईपीओ का शेयर कितने का है ?

आईपीओ का शेयर कंपनी के निर्धारित मूल्य पर आधारित होता है। कंपनी अपने शेयर बाजार में निश्चित  निर्धारित विकास में अन्यथा बुक बिल्डिंग निकास के अंतर्गत फ्लोर बॉन्ड या कैंप बॉन्ड के जरिए निर्धारित करते हैं ।

एलआईसी आईपीओ क्या है ?

LIC IPO Kya Hai – भारत में बीमा कंपनी तो कही है । पर एलआईसी देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी है । जो सरकार के अंतर्गत यानि देखरेख में चलती है । एलआईसी पर हमारे देश की अधिकतम जनता विश्वास रखती है , और एलआईसी का बीमा लेना ही पसंद करती है ।  आम जनता में लोकप्रियता देख सरकार ,एलआईसी को आईपीओ द्वारा शेयर बाजार में लिस्ट करना चाहती है ।
 
जिससे एलआईसी का आईपीओ होने से सरकार को एलआईसी कंपनी की आर्थिक स्थिति का पता चलेगा ।  और जो रिटेल निवेशक है , उनके द्वारा आईपीओ में हिस्सेदारी मिलेगी ।  लोगों  को कंपनी की विस्तृत जानकारी पता चलेगी । जिससे जनता अधिक से अधिक निवेश खरीदने की कोशिश करेंगे। जिसकी lic policy है उसे पहला chance मिलेगा आईपीओ खरीदने के लिए।

सरकार को lic का कैपिटल बेस 100 करोड़ से बढ़ाकर 25000 करोड़ तक करना है। इसलिए सरकार एलआईसी को आईपीओ में निवेश कर रही है।

IPO में कट ऑफ कीमत क्या हैं ?

आईपीओ में cut off price और निश्चित मूल्य विधि पर अवलंबित हैं । निश्चित मूल्य पद्धति में कंपनी द्वारा शेयर का मूल्य पहले से ही निश्चित किया रहता है हमें कंपनी के शेयर निश्चित मूल्य पर खरीदने पड़ते हैं । इसमें हम एक शेयर नहीं खरीद सकते । हमें कई शेयर एक साथ बंच में खरीदने पड़ते है। एक शेयर का मूल्य १०० रुपया है। तो हमें १००रूपए  के 10 यानी 1000 के 10 शेयर खरीदना पड़ता है।

दूसरे प्रकार में book building विकास में फ्लोर मूल्य क्रय मूल्य कंपनी द्वारा बनाए जाते हैं निवेश को दोनों में से एक पर बोली करनी पड़ती है अगर फ्लोर मूल्य ₹50 और मूल्य ₹75 है तो आप मूल्य पर ₹75 बोली करते हैं तो कंपनी निवेशकों के अनुसार 50 से 75 के बीच शेयर का मूल्य तय कर का मूल्य निर्धारित करती है अगर आपको शेर का मूल्य निर्धारित करने नहीं आता है तो आप बोली ने यह कह सकते हैं कि cut off पर निवेश करने को तैयार है । यानी कंपनी जो शेयर का मूल्य निर्धारित करेगी आपको मंजूर है ।

कंपनी हमें 3 दिन का समय आईपीओ में बोली लगाने के लिए देती है। इसके बाद ipo में कंपनी की बोली बंद हो जाती है । और उचित कटऑफ पर कंपनी अपने शेयर का मूल्य मार्केट में लॉन्च कर देती है। कंपनी पुस्तक निर्माण पद्धति में निवेशकों और निवेश बैंकरों के लिए पुस्तक निर्माण कर मार्केट में लचीलापन प्रदान करती है। जिससे बैंकरो और निवेशकों को बड़ी आसानी हो जाती है।

तत्व चिंतन एलॉटमेंट स्टेटस ( tatva chintan allotment status )

तत्व चिंतन गुजराती कैमिकल बनाने वाली company है । जिसका ipo record 180 गुना subscribe हुआ था । जिससे यह पता चलता है, कि कंपनी निवेशक पसंद करते हैं । उनके share buy निवेशक को पसंद है । Gray Market में तत्व चिंतन कंपनी का share price premium पर था। BSE पर आप तत्व चिंतन का allotment status check कर सकते हैं। BSC
पर login करें फिर activity पर click करने पर आपको issue name दिखाई देगा ।

Issue Name मैं आपको तत्व चिंतन फार्मा ऐसा डा नाम डालना पड़ेगा ।आपका application number, pan number डालने के बाद , आपको आई I’m not robat पर click करना है ।आप जब search button पर click करेंगे,  तो आपको तत्व चिंतन का allotment status दिखाई देगा ।

How to check IPO application status ( आवेदन की स्थिति कैसे जांच करे )

सेबी ने circular number CIR/ CFD114/2012  को electronic रूप में सार्वजनिक मुद्दों और आवेदन पत्र जमा करने के लिए stock exchange ने निवेशको को आवेदनों की स्थिति देखने , जानकारी हासिल करने के लिए निम्नलिखित सुविधा प्रदान की। BSE के अनुसार निवेशकों BES website पर आवेदनों की स्थिति जानकारी हासिल करने के द्वार खोल दिए।

BSE ने निवेशकों के लिए www.bseindia.com पर selection invester services application status check करने की सुविधा जारी की हैं। जिससे निवेशकों को आवेदन की स्थिति की जानकारी हासिल करने के लिए website पर जाकर अपना नाम , आवेदन संख्या , pan number दर्ज करना पड़ेगा । जिसकी वैध जानकारी मिलने पर system निम्नलिखित प्रारूप विवरण प्रस्तुत करेगा ।

                      BID DETAILS
BID NO.       NO OF STATUS    PRICE
यह जानकारी वेबसाइट पर एक हफ्ता रहती हैं। issue होने पर बंद जानकारी बंद हो जाती हैं।

आशा करता हूँ कि आपको Ipo क्या है और ipo full form in hindi आर्टिकल पसंद आया होगा। इस पोस्ट को अपने सभी दोस्तों में शेयर करे ।

नमस्कार ! मेरा नाम गणपत ईणकिया है और इस Best Hindi Blog का संस्थापक हूँ. मुझे ब्लॉग्गिंग, एसईओ और डिजिटल मार्केटिंग जैसे विषयों पर गहरी नॉलेज है! हमारे ब्लॉग पर आने के लिए धन्यवाद.

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