सिंधु घाटी सभ्यता का इतिहास
Contents
सिंधु घाटी सभ्यता का इतिहास : एक कांस्य युगीन सभ्यता है जिसका संबंध आद्य ऐतिहासिक काल से हैं I सिंधु घाटी सभ्यता 3300-1700 विश्व की प्राचीन नदी घाटी सभ्यता में से एक प्रमुख सभ्यता थी I यह हड़प्पा, अरहर सभ्यता और सिंधु सरस्वती सभ्यता के नाम से भी जानी जाती है I इसका विकास सिंधु और घाधर हकड़ा प्राचीन सरस्वती के किनारे हुआ मोहनजोदड़ो कालीबंगा लोथल धोलावीरा राखीगड़ी और हड़प्पा इसके प्रमुख केंद्र थे I
रेडियो सभ्यता की खोज रायबहादुर दयाराम साहनी ने की थी सिंधु सभ्यता को ऐतिहासिक युग में रखा जाता है इस सभ्यता के प्रमुख निवासी द्रविड़ और भूमध्य सागरी थे I

हड़प्पा के सर्वाधिक स्थल गुजरात से खोजे गए हैं I लोथल और सुतकोतदा- सिंधु सभ्यता का बंदरगाह जूते हुए खेत का और नक्काशीदार ईटों का प्रयोग के प्रमाण कालीबंगा से प्राप्त हुआ I अग्निकुंड लोथल और कालीबंगा से मिले हैं I पर्दा – प्रथा और वेश्यावृत्ति सभ्यता में प्रचलित थी I
*आग में पकी हुई मिट्टी को टेराकोटा कहा जाता था I
सिंधु सभ्यता उत्तर से जम्मू कश्मीर दक्षिण में देमाबाद महाराष्ट्र पश्चिम में सूत्कागेडौर बलूचिस्तान तथा पूर्व में आमल मीरापुर उत्तर प्रदेश तक फैली थी
I रेडियो कार्बन c14 जैसी नवीन विश्लेषण पद्धति के द्वारा सिंधु घाटी सभ्यता का सर्वमान्य काल 2350-1750 ईसा पूर्व माना जाता है I
सिंधु घाटी सभ्यता को हड़प्पा सभ्यता क्यों कहा जाता है?
इस हड़प्पा सभ्यता के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इसके प्रथम अवशेष हड़प्पा नामक स्थान से प्राप्त हुए थे I सर्व प्रथम वर्ष 1921 में रायबहादुर दयाराम साहनी ने हड़प्पा नामक स्थान पर इस सभ्यता के अवशेष को जो थे आलम नंद घोष प्रथम पूरातत्वविद थे I जिन्होंने पूर्व हड़प्पा संस्कृति और परिपक्व हड़प्पा संस्कृति के बीच समानताओं को व्यक्त किया था I



सिंधु घाटी सभ्यता की नगर योजना का वर्णन करें
सिंधु घाटी सभ्यता का इतिहास की सर्वप्रथम विशेषता उसकी नगर योजना एवं जल निकास प्रणाली थी यहां की सड़कें एक दूसरे को समकोण पर काटती थी मकान पक्की ईंटों से बने होते थे हड़प्पा सभ्यता स्थल से प्राप्त हुई और शेष प्राय दो भागों में विभाजित है I ऊपरी तथा निकली भाग पहला ऊपरी भाग दुर्गी – कृत है I जिसमें राज की इमारतें खाद्य भंडार एवं गृह इत्यादि निर्मित है I जबकि दूसरे निम्न भागों में छोटे भवन के साक्ष्य या प्रमाण मिलते हैं I घरों के दरवाजे एवं खिड़कियां मुख्य सड़क में ना खुलकर गलियों में खुलती थी I परंतु लोथल इसका अपवाद है I सड़क के किनारे बनी मवेशियों पर नरमोखे बने होते थे I
सिंधु घाटी सभ्यता का धार्मिक जीवन
सिंधु घाटी सभ्यता का इतिहास में मात्र देवी की उपासना सार्वत्रिक प्रचलित थी इस काल में पशुपतिनाथ, महादेव, लिंग, योनि, वृक्ष वें पशुओं की पूजा की जाती थी I तथा लोग भूत-प्रेत अंधविश्वास पर जादू टोना पर भी विश्वास करते थे I पशुओं में कूबड़ वाला सांड तथा पक्षियों में फाख्ता को पवित्र माना जाता था I
सिंगार युक्त पशु विशेष रूप से पूजनीय थे I वास्तविक चिन्ह इस सभ्यता की देन है I
लिपि एवं लेखन शैली
हड़प्पा सभ्यता की लिपि भाव चित्रात्मक थी I जिसे अब तक नहीं पढ़ा जा सका यह लिपि प्रथम पंक्ति से पंक्ति से दाएं से बाएं और तथा द्वितीय पद्धति से बाएं से दाएं और लिखी जाती थी I लेखन की इस शैली को “बाउस्द्रोफिडन ” कहां जाता है इसका अंकन लकड़ी की आयताकार मुहारे तथा तांबे की गुट्टीकाओ पर हुआ है I
मुहरें
मोहन हड़प्पा सभ्यता की सर्वाधिक कलाकृतियां है I अब तक लगभग 2000 मोहरे प्राप्त हुए हैं,जिनमें से अधिकांश मुहरें लगभग 500 मोहनजोदारो से मिली है I
आमतौर पर मुहरें चौकारे होती थी I चौकोर मुहरें पर लेख व पशु आकृतियां दोनों होती थी I जबकि बेलना – कार मुहरें पर ज्यादातर लेख होते थे I यहां पर बेलनाकार, वृत्ताकार तथा आयताकार मुहरें भी मिली है I अधिकांश मुहरें सेलखड़ी की बनी होती थी I मुहरें पर सर्वाधिक चिन्ह एक सींग वाले सांड वृषभ का होता था I
सिंधु घाटी सभ्यता का सामाजिक जीवन
सैनधव समाज समाज मातृसत्तात्मक था I तथा सामाजिक व्यवस्था का मूल आधार परिवार था I सैनधवी सभ्यता के लोगों की राज्य व्यवस्था कुलीनत मंत्री थी I सिंधु घाटी सभ्यता का इतिहास का समाज अनेक वर्गों में विभाजित था I जिसे पुरोहित, व्यापारी ,अधिकारी, शिल्पी, जुलाहा एवं श्रमिक में I
सिंधु घाटी सभ्यता का इतिहास की देन सिंधु सभ्यता में प्रचलित अनेक चीजें ऐतिहासिक काल में भी निरंतर रही I इसके कुछ प्रमुख उदाहरण निम्न है, दशमलव पद्धति पर आधारित माप – तोल प्रणाली, नगर नियोजन तथा नालियों की व्यवस्था बहुदे – वाद का प्रचलन, देवी की पूजा, पशुपति पूजा, लिंग एवं योनि पूजा, प्रचलन था I जल का धार्मिक महत्व स्वास्तिक चिन्ह आदि प्रमुख थे I
सिंधु घाटी सभ्यता का आर्थिक जीवन
सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों का प्रमुख व्यवसाय कृषि था I गेहूं, जौ, कपास, चावल एवं फल खजूर, तरबूज आदि की खेती की जाती थी I भैंस बैल बकरी कुत्ता आदि,पशु पाले जाते थे I तांबा तथा टीम को मिलाकर कैसा बनाया जाता था इस सभ्यता की मोहरे एवं अन्य वस्तुओं का परिचय एशिया तथा मिस्र में मिलता है, जो इन देशों के साथ इस देश के व्यापारिक संबंध की घनिष्ठा को बताता है I
सिंधु घाटी सभ्यता का पतन
सिंधु घाटी सभ्यता के पतन के लिए कोई एक कारक उत्तरदाई नहीं है बल्कि अलग-अलग स्तरों के लिए अलग-अलग कारक उत्तरदाई है,
वैज्ञानिकों द्वारा अनुमान लगाया जाता है,कि जलवायु परिवर्तन के कारण सिंधु घाटी सभ्यता का इतिहास का पतन हुआ था I
परंतु इसका कोई ठोस प्रमाण अभी तक प्राप्त नहीं हुआ है I
ये भी पढ़े :-
- Mainframe Computer In Hindi – Full Explain
- URL Shortener Website Se Paise Kaise Kamaye? यूआरएल शॉर्टनर क्या है.
- आजादी के अमृत महोत्सव पर निबंध | Azadi ka Amrit Mahotsav Essay in hindi (PDF) 2022
- Analog Computer In Hindi – एनालॉग कंप्यूटर के प्रकार
- फ्री ब्लॉग कैसे बनाते है – Free Website Kaise Banaye ?
- Personal Computer In Hindi – PC (पर्सनल कंप्यूटर क्या है?)
FAQ
सिंधु घाटी सभ्यता का विकास कहां हुआ है ?
भारत के इतिहास की शुरुआत सिंधु घाटी सभ्यता से प्रारंभ हुई है जिसे हम हड़प्पा सभ्यता के नाम से भी जानते हैं। यह सभ्यता लगभग 2500 ईस्वी पूर्व दक्षिण एशिया के पश्चिमी भाग मैं फैली हुई थी,जो कि वर्तमान में पाकिस्तान तथा पश्चिमी भारत के नाम से जाना जाता है। सिंधु घाटी सभ्यता का इतिहास मिस्र,मेसोपोटामिया,भारत और चीन की चार सबसे बड़ी प्राचीन नगरीय सभ्यताओं से भी अधिक उन्नत थी।
सिंधु घाटी सभ्यता को हड़प्पा सभ्यता क्यों कहा जाता है ?
दयाराम साहनी ने हड़प्पा नामक जगह का उत्खनन किया। इसलिए इस सभ्यता का नाम हड़प्पा सभ्यता रखा गया। यानि हड़प्पा सभ्यता का नामकरण उसके उत्खनन के जगह के नाम पर रखा गया.
सिंधु घाटी सभ्यता कितने वर्ष पुरानी है?
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के वैज्ञानिकों ने सिंधु घाटी सभ्यता का इतिहास को लेकर ऐसे तथ्य सामने रखे हैं, उनके अनुसार सिंधु घाटी सभ्यता का इतिहास लगभग 8,000 साल पुरानी है.
सिंधु घाटी सभ्यता का सबसे बड़ा स्थल कौन सा है?
राखीगढ़ी गांव में साइट का कुल क्षेत्रफल 550 हेक्टेयर है, जो इसे भारतीय उपमहाद्वीप में सिंधु घाटी की सभ्यता के अवशेषों से जुड़ा सबसे बड़ा स्थल बनाती है।
सिंधु घाटी सभ्यता की खोज कब हुई?
सिंधु घाटी सभ्यता की खोज 1921 में दयाराम साहनी ने की.
सिंधु घाटी सभ्यता का देवता कौन था?
सिंधु घाटी सभ्यता का देवता मातृदेवी, पशुपतिनाथ, सूर्य,जल, पृथ्वी देवी ,लिंग, वृक्ष और प्रकृति देवी की पूजा करते थे।