मार्शल लॉ की परिभाषा क्या होती है. मार्शल लॉ का मतलब क्या है? इसके बारे मे हम विस्तृत बतायेंगे. किसी भी देश के किसी विभाग मे कभी कभी ऐसी परिस्थिति आ जाती है. जब देश की न्याय व्यवस्था को संभालना देश की सरकार के जरिए मुश्किल हो जाता है. तो ऐसी परिस्थिति मे देश मे कुछ ऐसे कानुनो को लागू किया जाता है. जिस के लागू होने से सरकार का नियंत्रण खत्म हो जाता है. जिसका नाम मार्शल लॉ है.

इस लेख मे इससे जुडी सभी जानकारी यह एक ऐसा कानून है जिस के तहत देश मे सेना को यह अधिकार मिलता है, कि वह उस स्थान शासन और नियंत्रण करे. और यह अधिकार उन्हें सरकार के जरिये दिया जाता है. इस कानून को हम सैनिक कानून के नाम से जानते है. मार्शल लॉ का मतलब क्या है?
मार्शल लॉ क्या है ? (मार्शल लॉ का मतलब क्या है)
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मार्शल लॉ का मतलब क्या है – मार्शल लॉ, किसी भी देश में सरकार द्वारा घोषित एक ऐसी न्याय व्यवस्था है जिसमें सैन्य बलों को एक क्षेत्र, शासन और नियंत्रण करने का अधिकार दिया जाता है.
यह जरूरी नहीं है कि मार्शल लॉ पूरे देश में ही लागू हो, यह किसी भीं देश के छोटे से हिस्से में लगाया जा सकता है. इसे सैनिक कानून भी कहा जाता है. यानी कि विशेष परिस्थितियों में किसी भी देश की न्याय व्यवस्था जब सेना अपने हाथ में ले लेती है, तब जो नियम प्रभावी होते हैं उन्हें मार्शल लॉ कहते हैं.
कभी-कभी इस लॉ को युद्ध के समय या फिर किसी क्षेत्र को जीतने के बाद उस क्षेत्र में लगा दिया जाता है. उदाहरण के लिए द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जर्मनी और जापान में इसे लागू किया गया था, अब तक पाकिस्तान में भी चार बार मार्शल लॉ लगाया जा चुका है.
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किसी देश मे यह कब लगाया जाता है
मार्शल लॉ कि घोषणा तब की जाती है जब देश मे नागरिक अशांती या राष्ट्रीय परेशानी या युद्ध की स्थिति जैसी आपातकालीन स्थिति आती है. उस समय नागरिक सरकार द्वारा निर्णय लेना कठिन हो जाता है और सभी निर्णय सेना द्वारा लिये जाते है. अतः उस स्थान को सेना द्वारा टेकओवर कर लिया जाता है. दुसरे शब्दों मे कहे तो राष्ट्रीय संकट के समय मे देश मे या देश के किसी राज्य पर सैन्य शासन के अस्थायी लगाव के रुप मे मार्शल लॉ को परिभाषित किया जाता है.
यह आवश्यक नही है कि यह देश के प्रत्येक हिस्से मे लगाया जा सकता है. इस कानून को लागू करने का मतलब यह नहीं है कि युद्ध की शुरुआत होगी, बल्कि यह वह है जिस मे आम नागरिको की वर्तमान व्यवस्था को हटाकर उस स्थान पर मिली ट्री नियम लागू होता है.
इस लॉ के अंतर्गत कर्फयू आदि विशेष कानून होते हैं. हम आपको बता दें कि इसके अंतर्गत न्याय देने के लिए सेना का एक विशेष ट्रिब्यूनल नियुक्त किया जाता है जिसे कोर्ट मार्शल कहा जाता है. इसके अन्तर्गत बन्दी प्रत्यक्षीकरण याचिका जैसे अधिकार निलम्बित किये जाते हैं
कई बार तख्ता पलट हो जाने पर या बहुत बडी प्राकृतिक आपदा आ जाने पर भी मार्शल लॉ लगाना जरुरी हो जाता है.
मार्शल लॉ मे सेना के अधिकार
बताते चले कि जब मार्शल लॉ घोषित किया जाता है. तो उस समय सेना को कुछ विशेष अधिकार भी प्राप्त हो जाते है. इस कानून के तहत विशेष रुप भी प्रभावित प्रभा ग पर कर्फ्यू लगाया जाता है. इसका उल्लंघन करनेवाले
को तुरंत गिरफ्तार भी किया जा सकता है. इसमे अनिश्चित काल तक गिरफ्तार किये हुये व्यक्ति को रखने की अनुमति भी होती है. इस कानून के अंतर्गत नागरिक स्वतंत्रता जैसे स्वत़़ंत़्र आंदोलन का अधिकार, स्वतंत्र भाषण या अनुचित खोजो से सुरक्षा आदि को हटा दिया जाता है. बता दे कि, न्याय प्रणाली के साथ बदल दिया जाता है.
मार्शल लॉ और राष्ट्रीय आपातकाल मे अंतर
मार्शल लॉ और राष्ट्रीय आपातकाल मे कई अंतर है. मार्शल लॉ लगाने पर केवल लोगो के मौलिक अधिकार ही प्रभावित होते है, जबकि राष्ट्रीय आपातकाल से मौलिक अधिकारो फेडरल स्कीम बिजली वितरण आदि पर भी व्यापक रुपसे प्रभाव पडता है. सरकार के साथ ही सामान्य अदालते पहले की तरह काम करती रहती है.
जानकारी को लिए बता दे कि, भारतीय संविधान मे इसकी कोई जानकारी नही है. मार्शल लॉ कब और किन परिस्थितियों मे लगाया जाता है.
मार्शल लॉ भारत में (Martial Law in India)
हमारे देश में मार्शल लॉ कभी नहीं लगा है और जब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थी तब नेशनल इमरजेंसी या राष्ट्रीय आपातकाल लगाया गया था. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 352 के अनुसार राष्ट्रपति युद्ध, बाह्य आक्रमण और आंतरिक अशांति के आधार पर संपूर्ण भारत में एक साथ राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा कर सकता है. 1975 में श्रीमती इंदिरा गांधी ने आंतरिक अशांति के आधार पर संपूर्ण भारत में राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा की थी.



किन देशो मे लग चुका है मार्शल लॉ
अमेरिका, चाइना, कनाडा, बूनेई, मॉरिशस,पोलैंड, सिरीया, युक्रेन फिलीपिंस, इन देशो मे लगाया जा चुका है. ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, चीन, ईरान, पाकिस्तान, अमेरिका आदि. अगर मार्शल लॉ के प्रभाव के बारे में बात करें तो जहां भी या जिस देश में भी इसको लगाया गया है वहां पर लोकतंत्र (democracy) को बहुत भारी नुक्सान हुआ है.
ऐसा देखा गया है कि मार्शल लॉ के दौरान सिविलियंस या आम नागरिक ज्यादा प्रभावित होते हैं क्योंकि उनके सारे अधिकार खत्म हो जाते हैं, कोर्ट सही से काम नहीं कर पाते हैं. भले ही देश में बाहरी आक्रामकता (external aggression) हो, देश खतरे में हो तब भी मार्शल लॉ का विरोध लोगों द्वारा किया गया है.
मार्शल लॉ लगने के बाद क्या प्रभाव पडा
जहा सैन्य दल के अनुसार कारवाई होती है मार्शल लॉ के दौरान होनेवाली प्रतिक्रिया से लोगो को काफी हद तक परेशानी यो से जुझना पडता था. मार्शल लॉ के दौरान सत्तारूढ़ दल कई बार लोकतंत्र के बुनियादी मौलिक अधिकारों को लंबे समय तक चोट पहुंचाते हैं जिससे वहां के रहने वाले लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. इसीलिए लोग चाहते हैं कि उनके अधिकारों का दमन ना हो, लोकतंत्र रहे और देश में शांति बनी रहे.
उपसंहार
दोस्तों आज हम इस लेख के जरिए हम आपको मार्शल लॉ से जुडी सारे तथ्यों के बारे मे सरल शब्दों मे जानकारी प्रदान की गई है. हम उम्मीद करते है आप हमारी मार्शल लॉ का मतलब क्या है जानकारी से संतुष्ट होंगे.
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